अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ARTIFICIAL INTELLIGENCE)- आज तकनीकि की बदलती दुनिया में अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चर्चा का एक ज्वलंत विषय है। इसके द्वारा कंप्यूटर या रोबोटिक सिस्टम के माध्यम से औद्योगिक, वैज्ञानिक, चिकित्सा, शिक्षा आदि जैसे सेक्टर्स के कार्यों को उन्हीं तर्कों के आधार पर चलने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव का दिमाग काम करता है। विकास एवं बेहतर सुख– सुविधा उपलब्ध करने के लिए अधिक से अधिक उन्नत तकनीकि की आवश्यकताओं के मद्देनज़र अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। यह मशीनों को ऐसे कार्य करने में सक्षम बनाता है जो पहले केवल मनुष्य ही कर सकते थे जैसे कि लिखित सामग्री तैयार करना, कार चलाना, डेटा का विश्लेषण करना आदि। इसके ज्वलंत उदाहरणों में CHAT GPT, GOOGLE TRANSLATE, TESLA CARS एवं चिकित्सा सेक्टर में AI-powered रोबोटिक्स आदि का प्रयोग शामिल हैं।
AI को कई प्रकारों और द्रिष्टिकोणों में वर्गीकृत किया जा सकता है:-
नैरो एआई (कमजोर एआई): किसी विशिष्ट कार्य के लिए डिज़ाइन और प्रशिक्षित किया गया है, जैसे आवाज पहचान, छवि पहचान, या अनुशंसा प्रणाली। ये प्रणालियाँ अत्यधिक विशिष्ट हैं और अपने प्रशिक्षण के बाहर कार्य नहीं कर सकती हैं।
सामान्य एआई (मजबूत एआई): एआई का एक सैद्धांतिक रूप जो मानव संज्ञानात्मक क्षमताओं के समान कार्यों की एक विस्तृत श्रृंखला में ज्ञान को समझने, सीखने और लागू करने की क्षमता रखता है। सामान्य एआई एक लक्ष्य बना हुआ है और इसे अभी तक हासिल नहीं किया जा सका है।
डीप लर्निंग: मशीन लर्निंग का एक उपसमूह जो डेटा के विभिन्न कारकों का विश्लेषण करने के लिए कई परतों (गहरे तंत्रिका नेटवर्क) के साथ तंत्रिका नेटवर्क का उपयोग करता है। यह द्रिष्टिकोण छवि और वाक् पहचान जैसे कार्यों में विशेष रूप से प्रभावी है।
मशीन लर्निंग: एआई का एक उपसमूह जिसमें डेटा पर प्रशिक्षण एल्गोरिदम शामिल है ताकि उन्हें प्रत्येक कार्य के लिए स्पष्ट रूप से प्रोग्राम किए बिना भविष्यवाणियां या निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके। मशीन लर्निंग तकनीकों में पर्यवेक्षित शिक्षण, अनपर्यवेक्षित शिक्षण और सुदृढीकरण शिक्षण शामिल हैं।
प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी): एआई की एक शाखा प्राकृतिक भाषा के माध्यम से कंप्यूटर और मनुष्यों के बीच बातचीत पर केंद्रित है। इसमें भाषा अनुवाद, भावना विश्लेषण और पाठ निर्माण जैसे कार्य शामिल हैं।
कंप्यूटर विज़न: एक एआई क्षेत्र जो कंप्यूटरों को छवियों और वीडियो जैसे दृश्य इनपुट के आधार पर व्याख्या करने और निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। अनुप्रयोगों में चेहरे की पहचान, स्वायत्त वाहन और चिकित्सा छवि विश्लेषण शामिल हैं।
मनुष्य की बेहतर प्रगति के लिए आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के जितने अनुकूल लाभ संभावित हैं, उतने ही प्रतिकूल नुक्सान की भी संभावना दिखाई देती है क्योंकि मनुष्यों का काम मशीनों द्वारा स्वयं के निर्णय से लिया जाने लगेगा एवं इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो मानव सभ्यता के लिए खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। इसलिए भविष्य में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के आगामी उन्नत प्रयोग के लिए इसके लाभ एवं हानि समस्त बिंदुओं को ध्यान में रखने की आवश्यकता होगी।
अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ARTIFICIAL INTELLIGENCE) के संभावित फायदे
- मशीनों की अधिक दक्षता के कारण परिचालन लगत में कमी
- दोहराये जाने वाले कार्यों में सटीकता उदाहरणतया वाहनों, कम्प्यूटर्स, मशीनों की असेम्बलिंग आदि
- डिजिटल सेवाओं और उत्पादों में व्यक्तीकरण में वृद्धि
- नई सामग्री जैसे चित्र, लेख आदि को शीघ्रता से उत्पन्न करने की छमता
- कुछ परिस्तिथियों में बेहतर निर्णय लेने की छमता
अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ARTIFICIAL INTELLIGENCE) के संभावित नुक्सान
- स्वचालन के कारण रोजगार की कमी
- संभवत साइबर सुरक्षा
- जिस डाटा सेट पर AI को प्रशिक्षित किया जाता है उसके परिणाम स्वरुप पूर्वाग्रह या भेदभाव की सम्भावना
- निर्णय कैसे लिए जाते हैं में पारदर्शिता का अभाव, जिसके परिणामस्वरूप श्रेष्ठ्तम निष्कर्ष नहीं मिलते
- गलत सुचना फैलाने की संभावना के साथ कानून और नियमों के उल्लंघन की संभावना
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाएँ
भारत सरकार द्वारा उद्योग जगत को विभिन्न क्षेत्रों जैसे उद्योग, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, कृषि, ऑटोमोबाइल्स इत्यादि विभिन्न सेक्टर्स जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है के लिए एक मॉडल बनाने में सहयोग करने की अपील की है। उद्योग जगत ने सरकार से इसके लिये कुछ बिंदुओं पर फोकस करने को कहा है:-
- सरकार उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ प्राथमिकता के आधार पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये देश में एक अथॉरिटी बने जो इसके नियम-कायदे तय करे एवं इसकी पूर्ण निगरानी करे।
- उद्योग, ऊर्जा, शिक्षा, ऑटोमोबाइल्स, स्वास्थ्य, परिवहन, कृषि आदि इसके लिये उपयुक्त क्षेत्र हो सकते हैं।
माना जाता है कि 2045 तक मशीनें स्वयं सीखने और स्वयं को सुधारने में सक्षम हो जाएंगी और इतनी तेज़ गति से सोचने, समझने और काम करने लगेंगी कि मानव विकास का पथ हमेशा के लिये बदल जाएगा।
निष्कर्ष: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव समाज की शीघ्रातिशीघ्र उन्नति के सन्दर्भ में एक चर्चित विषय है। वैश्विक औधोगिकरण , शहरीकरण की गति कई गुना बढ़ गई है, जिसके कारन उत्पन्न होने वाली कई समस्याओं के तीव्र निदान एवं उन्नत वैश्विक विकास हेतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के कई फायदे हैं। भविष्य में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के समग्र उपयोग हेतु इसके लाभ एवं हानि दोनों दृष्टिकोण से सोंचते हुए कार्य करने की आवश्यकता भी अपेक्षित है।